समन्वयवाद के परिप्रेक्ष्य में

 समन्वयवाद के कुछ बिंदु:-
1.समन्वय निषादों का प्रारंभिक गुण है।वे प्रकृति अर्थात जल जंगल और जमीन से हर परिस्थिति में समन्वय स्थापित करते हैं।
2.निषाद ही संगीत के जनक हैं।संगीत के सातो स्वर निषाद के पर्यायवाची हैं।
3.संगीत परस्पर विरोधी सुरों का समन्वय है।
4.संसार में प्रत्येक संभावित समस्याओं का अंत समन्वय है।
5.शांतिपूर्ण सहअस्तित्व और विश्वशांति समन्वय से ही सम्भव है।
6.सिंधु घाटी सभ्यता नदी के किनारे विकसित प्रथम मानव सभ्यता है।यह जल और थल के संसाधनों का समन्वयवादी  उपयोग का अनुपम उदाहरण था।
7.सिंधु घाटी सभ्यता काल तक आर्यों का आगमन नहीं हुआ था।तब निषाद संस्कृति अपने चरम पर थी।
8.भारत में निषाद संस्कृति का पुनर्जागरण समन्वयवाद को अपना कर ही सम्भव है।समाज के बहत्तर उपकुलों और सैकड़ों जातीय उपनामों का समन्वय ही इस उत्थान का कारक हो सकता है।
9.आर्थिक और सामाजिक रूप से अक्षम प्रत्येक व्यक्ति तक पुनर्वास और राहत ही समन्वयवाद का लक्ष्य है।
10.समन्वयवाद किसी एक नेता या दल का विकास नहीं चाहता।समनवयवाद समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति में भी नेतृत्व की भावना का विकास चाहता है,जिससे नेतृत्व की श्रृंखला तैयार हो सके।
अतः हृदय से समन्वयवाद को अपनाईये।एक दिन अपना समाज इस देश का नेतृत्व करेगा।

राष्ट्रीय संयोजक : श्री सुरेश सहानी
🙏🏼🙏🏼🙏
By🏼 Rakesh Mallah: Ncc के माननीय गणमान्य सदस्य “समन्वयवाद” इस शब्द को अगर मेरी नजर में ठेठ देसी भाषा में समझाने की कोशिश करूं  कुछ इस प्रकार होगी ।

अपना निषाद समाज पूरे भारत के अंदर १५० से ज्यादा उप जातीयों और में विभक्त है और इसमें बहुत सारे लोग ऐसे हैं जो अपने आपको दूसरे उपजातियां से छोटा या बड़ा समझते हैं , यह उनकी अपनी वैचारिक भ्रम या मतभेद है । सही शिक्षा का अभाव को ब्राह्म्णवाद का प्रभुत्व इसके मूल में निहित है।

“समन्वयवाद” मूल रूप से इन उप जातियों के अंदर सामंजस्य बिठाना, रोटी-बेटी का रिश्ता निभाने और आपस में मिल जुलकर स्वस्थ निषाद समाज के निर्माण करने के लिए प्रेरित करता है ।

दूसरी तरफ यह अपने सारे निषाद समाज को अन्य जातियों के साथ में सामंजस्य बैठा कर स्वस्थ , सुदृण , जाति-विहीन कर  एक नए भारत के निर्माण का कार्य भी करेगा ऐसी हमारी अपने लोगों की सोच है।

इन सब बातों को जान कर भी अगर हम लोग समन्वयवाद को नहीं समझ सकते तो हम कहीं ना कहीं उन प्रेमी जनो से क्षमा प्रार्थी हैं।

आपका अपना भाई

राकेश मल्लाह
🙏🏼🙏🏼🙏🏼💐🌷😀🌷💐
🙏🏼Suresh Sahani: NCC का मिशन और अन्य संगठनों के मिशन में भिन्नतायें:--
1.एनसीसी किसी एक व्यक्ति को नेता  नहीं बना रही है।एनसीसी नेतृत्व श्रृंखला तैयार कर रही है।
2.एनसीसी मतों की दलाली या निषाद मत-विभाजन में रूचि नहीं रखती।
3.एनसीसी समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति में अधिकार चेतना पहुँचाना चाहती है।
4.एनसीसी समाज को देश की मुख्यधारा में लाना चाहती है।
5.एनसीसी समाज को उसका राजनैतिक घर बनाकर देना चाहती है।


By Rakesh mallah :--
हमें स्वप्नदृष्टाओं की तलाश है !!

ऐसा स्वपनदृष्टा जो समन्वयवाद को निषाद समाज मे जन जन तक पहुंचा सके !!

ऐसा दृष्टा जो न्यायोचित आरक्षण की अलख जन-जन में जगा सके !!

ऐसा दृष्टा जो  निषाद समाज के जन जन लोगों को आर्थिक संपन्नता  को पाने हेतु विभिन्न विकल्पों की तरफ  की ओर उनके कदम बढ़ावा सके !!

ऐसा दृष्टा जो निषाद समाज में शिक्षा की नई क्रांति को ला सके !!

ऐसा दृष्टा जो महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए हमारे समाज के महिलाओं के लिए नया जिवन जिने के लिये नये आयामों को गढ़ और साथ-साथ उनमें आत्म-स्वाभिमान जगा सके सके!!

ऐसा दृष्टा जो संसद भवन और विधानसभाओं में समाज के जायज हक-हकूक के लिये ललकार सके ।

ऐसा दृष्टा जो हमारे समाज के नव युवक को में नई क्रांति की लहर जगा सके !!

ऐसा दृष्टा जो समाज में हो रहे अत्याचार और दुराचार पर लगाम लगा सके और समय-समय पर उसका प्रतिकार भी करवा सके !!

ऐसा दृष्टा जो बाल विवाह , दहेजप्रथा , नशाखोरी जैसे आज की  सामाजिक कुरितियों को  प्रतिबंधित करवा  और उन पर लगाम कसवा सके !!

ऐसा दृष्टा जो आज की इस संचार युग में टेक्नोलॉजी को अपने साथ में लेकर समाज के निचले पायदान पर गुजर-बसर कर रहे हुए लोगों को एक साथ जोड़ सके !!

ऐसा दृष्टा जो बेरोजगारी को दूर कर सकें और अपने पैतृक व्यवसाय नए नए प्रयोजन लोगों को बता और समझा सके !!

ऐसा दृष्टा जो  कला जगत में, साहित्य जगत में रंगमंच की जगत में फिल्म जगत में नए आए आयामों को गढ सके नई प्रतिभाओं को खोजकर निकाल सके और साथ साथ में नए निषाद के गौरवशाली इतिहास के रचना कर सके !!


इस तरह हमें अनेक स्वपनदृष्टाओं की जरूरत है !!  क्या आप उनमें से एक हैं ? और अगर हैं तो आप मुझे संपर्क कर सकते हैं मिलकर हम एक नए निषाद समाज की रचना कर सकेंगें !!

एक जागरुक स्वपनदृष्टा और निषाद प्रहरी !!

राकेश मल्लाह


 एनसीसी अपने साथियों को अपनी विचारधारा से अवगत कराने के लिए अंशकालिक प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाने पर विचार कर रही है।यहाँ हम कुछ बिंदु विचारार्थ प्रस्तुत कर रहे हैं।आप सब का सहयोग अपेक्षित है।
एनसीसी में कुछ लोग घुसकर दूसरे राजनैतिक दलों या उनके विचारों की पैरवी करते हैं।
1.एनसीसी को आरएसएस के एजेंडे में कोई रूचि नहीं है।एनसीसी के लिए तोगड़िया और ओवैसी दोनों देशद्रोही है।
2.एनसीसी किसी राजनैतिक दल में आस्था नहीं रखता।एनसीसी को किसी दल से परहेज भी नहीं है।
2.एनसीसी किसी महापुरुष राजनैतिक व्यक्तित्व धर्म या उनके चिन्हों का सम्मान करती है।वह इनके अपमान को दंडनीय कृत्य मानती है।
3.एनसीसी सत्य और नैतिकता को सर्वोपरि रखती है।किन्तु एनसीसी नैतिकता का दरोगा जैसा आचरण नहीं करती।अर्थात कानून का कार्य कानून के अनुरूप करने में विश्वास रखती है।
4.एनसीसी धरना प्रदर्शन आदि से परहेज रखती है।
5.एनसीसी समाज में विभिन्न महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे-शिक्षा रोजगार नशाबंदी सामाजिक एकता और राजनैतिक चेतना आदि पर शिविर बैठक रैली आदि के पक्ष में है।
6.एनसीसी के पदाधिकारी भी सदाचरण प्रस्तुत करेंगे।किसी उन्मादी पागल दिवालिया और असंयमित व्यक्ति को एनसीसी अपना सदस्य भी नहीं बनाएगी।
7.एनसीसी अपने राजनैतिक एजेंडा को समय आने पर खुले अधिवेशन में सबके सम्मुख प्रस्तुत करेगी।
8.एनसीसी का मूल उद्देश्य अपने समाज में समन्वय और समरसता स्थापित करना है।
9.एनसीसी किसी एक व्यक्ति को नेता बनाने में विश्वास नहीं रखती।एनसीसी समाज के प्रत्येक व्यक्ति में नेतृत्व भावना और नेतृत्व क्षमता का विकास करना चाहती है।
🙏🏻🙏🏻🙏🏻राष्ट्रीय संयोजक एवं समन्वयवाद के प्रणेता सुरेश साहनी।

Comments

  1. समन्वयवाद एक विचारधारा है जिसमे हम अति विकसित और अति पिछड़ी या अतिवंचित जातियों के बीच सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक समानता लाने वाली व्यवस्था की बात कहते है।इसमें अग्राह्य nonacceptable या न समझने वाली कौन सी बात है।यदि ब्राम्हणवाद का विरोध करना है।then avoid Ram and his mythological couliges.It is an adjustment also to accepting any epical character. Avoid all of them, those books ,those archies and thoughts. why are you adjusting between bramhanism and Ambedkarism.
    समन्वय सामंजस्य का करीबी हो सकता है।किन्तु समन्वयवाद निषाद संस्कृति का वह रास्ता है जिससे हम पुनः अपना गौरव और सत्ता प्राप्त करेंगे।इसमें हमारा एजेंडा स्पष्ट है।जो इस दर्शन को लेकर आगे बढ़ेगा वह देश और प्रदेश की प्रभावशाली शख्शियत और सत्ता का केंद्र बनेगा।
    समाजवाद ,सामाजिक न्यायवाद ,ब्राम्हणवाद ,एकात्ममानववाद ,साम्यवाद और पूँजीवाद पर सब चल रहे हैं।निषादों का रास्ता विकासमूलक समन्वयवाद है। इसे स्वीकार करिये ,आगे बढाइये ।यह अपनी विचारधारा है।आपको अगर अपने समाज का दार्शनिक नहीं पसंद है तो मेरा नाम हटाकर कोई विदेशी नाम समन्वयवाद के आगे लगा दीजिये।
    किन्तु इसके साथ आगे बढिए।

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा