मैं किसी धनवान का बेटा न था।

मैं किसी धनवान का बेटा न था।
इस कदर फिर भी गया गुजरा न था।।
तेरा ग़म यादें तेरी औ दर्दे-दिल
मैं किसी सूरत कभी तन्हा न था।।
मुझको दुनिया की न थी परवाह पर
तुम बदल जाओगे ये सोचा न था।।
उनका गुस्सा देख कर हैरत हुयी
चाँद को जलते कभी देखा न था।।
फेर कर मुंह चल दिए थे किसलिए
दिल के बदले मैंने कुछ माँगा न था।।
प्यार में सब हारना भी जीत है
ये सबक स्कूल में सीखा न था।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है