निर्भया भयातुर तड़पत बा

अब न्याय धुरी से नाच गईल ।
जब असली मुजरिम बाच गईल।।
अब कहाँ दामिनी कड़कत बा
निर्भया भयातुर तड़पत बा
कानून के डण्डा चटकत बा
बा कहत झूठ अब साँच भईल।।
अब कहाँ केजरीवाल हवें
बड़का गुण्डन के काल हवें
दादा उनकर लोकपाल हवें
अब कहवाँ उनकर जाँच गईल।।
असली गुण्डा त बाच गईल।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा