मैं तो यूँ भी था परेशान बहुत।

मैं तो यूँ भी था परेशान बहुत।
मैंने थोडा सा कहा जान बहुत।।
एक पत्थर को सनम मान लिया
आईना दिल का है हैरान बहुत।।
एक अल्लाह कहाँ तक देखे
आज दुनियाँ में हैं शैतान बहुत।।
एक गुल इश्क का अफशां करके
ये चमन हो गया वीरान बहुत।।
झलक दिखला के हमें लूट लिया
यार तुम हो तो बेईमान बहुत।।
जां गयी दिल से बड़ा बोझ गया
मेरे कातिल तेरा एहसान बहुत।।
लोग कहते हैं मेरे बारे में
आदमी था अज़ीमो-शान बहुत।।
उलझनें दिल में जमानें भर की
छोटे से घर में हैं मेहमान बहुत।।

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