कहीं आने जाने की फुर्सत नहीं है।

कहीं आने जाने की फुर्सत नहीं है।
हमें सुस्तीयाने की फुर्सत नहीं है।।
दोस्त और दुश्मन पता चल तो जाते
अभी आज़माने की फुर्सत नही है।।
हमें तुम न चाहो तुम्हारी बला से
हमें दिल जलाने की फुर्सत नहीं है।।
अगर तुमको आने में तकलीफ है तो
हमें भी बुलाने की फुर्सत नहीं है।।
सच बोलने में समय कम लगे है
बहाना बनाने की फुर्सत नही है।।
तुम याद करते हमें हो न पाया
हमें भूल जाने की फुर्सत नही है।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा