आदमी तूने रचे छोटे बड़े। राम हम नाहक तेरे पीछे लड़े।।

आदमी तूने रचे छोटे बड़े।
राम हम नाहक तेरे पीछे लड़े।।
आज दुनिया चाँद से आगे हुयी
हम जहाँ थे हैं वहीँ अब भी खड़े।।
जो गया वो लौट कर आता नहीं
चीख लो तुम फाड़ डालो फेफड़े।।
मीठी बातों से बचो यूँ आजकल
मीठे फल होते हैं अंदर से सड़े।।
तुमको हसरत थी कि हम आवाज दे
तुम पुकारो हम भी जिद पर थे अड़े।।
क्या मिलेगा दर्द और गम के सिवा
मत उखाड़ो व्यर्थ में मुर्दे गड़े।।
हम मुसाफिर थे फ़क़त इक रात के
भोर होते चल पड़े तो चल पड़े।।
वक्त था तो हर तरफ छाये थे वो
वक्त गुजरा साफ हो गए सूपड़े।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है