ढूंढो कही छुपा होगा उजियारे में। सूरज कब छुप सकता है अंधियारे में।।
ढूंढो कही छुपा होगा उजियारे में।
सूरज कब छुप सकता है अंधियारे में।।
सूरज कब छुप सकता है अंधियारे में।।
अब तुलसी घूरे पर भी मिल जाती हैं
पहले होती थी घर के चौबारे में।।
पहले होती थी घर के चौबारे में।।
तुम मुझसे एक बार मांगकर देखो तो
होती है तासीर टूटते तारे में।।
होती है तासीर टूटते तारे में।।
ठंडी आहों से दुनिया जल सकती है
इतनी तपन नही जलते अंगारे में।।
इतनी तपन नही जलते अंगारे में।।
प्यार के ढाई अक्षर समझ न पाते हम
अगर नही समझाते नैन इशारे में।।
अगर नही समझाते नैन इशारे में।।
घर खेती गहना बर्तन सब मोल लगे
माँ का ख्याल किसे आता बंटवारे में।।
माँ का ख्याल किसे आता बंटवारे में।।
सुख दुःख जीना मरना खेल तमाशा भी
क्या क्या है नियति के बंद पिटारे में।।
क्या क्या है नियति के बंद पिटारे में।।
राजपाट के सुर बेमानी लगते हैं
ऐसा क्या है जोगी के इकतारे में।।
ऐसा क्या है जोगी के इकतारे में।।
लोग मेरी कविता पर चर्चा करते हैं
क्या क्या लिख देता है अपने बारे में।।
क्या क्या लिख देता है अपने बारे में।।
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