मत कहो कि नेह का सौदा हुआ।

मत कहो कि नेह का सौदा हुआ।
जब हुआ तब देह का सौदा हुआ।।
माँ पिता का प्रेम समझे तो कोई
वन के बदले गेह का सौदा हुआ।।
भूख से व्याकुल अभागो के लिए
लाज से स्नेह का सौदा हुआ।।
सिर्फ सीता की परीक्षा इस तरह
धर्म से संदेह का सौदा हुआ।।
खुल गए बाजार गुरुओं के यहां
प्राश रस अवलेह का सौदा हुआ।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा