आदमी किससे वफ़ा करता है।
आदमी किससे वफ़ा करता है।
आँख फिरते ही दगा करता है।।
मुझको हंसने भी कहाँ देता है
सिर्फ रोने से मना करता है।।
याद करता है मुझे शब-ओ-सहर
और मिलने से बचा करता है।।
ज़ख़्म देता है मुझे रह रह कर
मेरे जीने की दुआ करता है।।
इस तरह मुझसे मुहब्बत करके
मेरी नफरत से बचा रहता है।।
आँख फिरते ही दगा करता है।।
मुझको हंसने भी कहाँ देता है
सिर्फ रोने से मना करता है।।
याद करता है मुझे शब-ओ-सहर
और मिलने से बचा करता है।।
ज़ख़्म देता है मुझे रह रह कर
मेरे जीने की दुआ करता है।।
इस तरह मुझसे मुहब्बत करके
मेरी नफरत से बचा रहता है।।
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