होरी है मस्तन की होरी
होरी है निरे अलमस्तन की
होरी सब रँगन की होरी
होरी है अबीर गुलालन की
होरी है पढ़े निपढ़े सब की
होरी है अदीब गँवारन की
होरी नहिं सन्त असन्तन की
होरी है निरे होरियारन की
होरी है तो मधुबन है हर सूं
होरी है तो यौवन है हर सूं
यौवन है जो प्रेम में भीगा हुआ
तब होरी है फागुन है हर सू
होरी है तो गोकुल धाम है मन
ब्रज है वृंदावन है हर सूं
होरी है तो राधा दिखे हर सुं
होरी है तो मोहन है हर सूं।।
बड़े बूढ़े लगे लरिका जइसे
अरु जेठ निगाह से घात करे है
अब सास ननद परिहास करे
अरु देवर काम को मात करे है
यह फागुन जेठ समान लगे
अरु रंग की आग अघात लगे है
अब होरी कहाँ मोहे भाए सखी
पिय जाने कहाँ दिन रात करे है
सुरेश साहनी, कानपुर
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