प्यार के कुछ पल मिले तो रात में।

फूल मुरझाये खिले तो रात में।।

वो सुबह से शाम तक संग में रही

फिर भी हम उससे मिले तो रात में।।

चौका बासन भजन भोजन सब दिए

कुछ किये शिकवे गिले तो रात में।।

फागुनी मस्ती बही भर दोपहर

अधर पत्तों से हिले तो रात में।।

द्वार  आँगन कोठरी से देहरी

कुछ शिथिल पड़ते किले तो रात में

सुरेशसाहनी, कानपुर

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