भूल चूक लेनी देनी है परंपरा भाई।

नागर भाई क्यों न् बजट की करें बड़ाई ।।

जाएंगे लाखों करोड़ अब बट्टे खाते में 

इसीलिए तो ले आये हम बजट बहीखाते में।।

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