यार ये गन्दुमी रहे न रहे।

फिर दृगों में नमी रहे न् रहे ।।

अब न ढुलकी अधर की गागर तो

प्यास फिर शबनमी रहे न रहे।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है