ख़ुश्क हैं होठ फिर भी प्यास नहीं।

हम हैं तन्हा मगर उदास नहीं।।

दिल ही टूटा है हम सलामत हैं

सिर्फ़ बेख़ुद हैं बदहवास नहीं।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है