हमें भी प्यार आना चाहिए था।

तनिक व्यवहार आना चाहिए था।।


बिके जो मोल बिन भंगार में हैं

हमें बाज़ार आना चाहिए था।।


चुकाते कर्ज क्यों कर लोग हिस्सा-

सभी को चार आना चाहिए था।


ख़ुदा के दर से हम यूँ ही न् लौटे

उसे भी द्वार आना चाहिए था।।


नहीं आते मगर फिर भी मनाने

तुम्हें इक बार आना चाहिए था।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है