बेशक ऐसा मंजर होगा।
सबकी आंखों में डर होगा।।
फिर उसके अहबाब बढ़े हैं
फिर ईसा सूली पर होगा।।
उम्मीदें वो भी सराय में
इक दिन तो अपना घर होगा।।
दौलत होगी चैन न होगा
नींद न होगी बिस्तर होगा।।
बेटा हो जब आप बराबर
बेटा बनना बेहतर होगा।।
प्रेम गली कितनी संकरी है
अंदाज़ा तो चलकर होगा।।
पत्थर कब सुनता है प्यारे
ऐसा ही वो ईश्वर होगा।।
दबे पाँव आती है चलकर
मौत को भी कोई डर होगा।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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