आप नत्थू के लख्त हैं शायद।
हो न हो अंधभक्त हैं शायद।।
पंछियों की भी जात पूछे है
आप वो ही दरख़्त हैं शायद।।
सिर तवारीख पे जो धुनते हैं
दौरे हाज़िर वो वक़्त हैं शायद।।
आप भी थे तमाशबीनों में
आप मौकापरस्त हैं शायद।।
मुल्क की फ़िक्र कौन करता है
सब सियासत में मस्त हैं शायद।।
आज् कोई पुलिस न पकड़ेगी
आज हाकिम की गश्त है शायद।।
सुरेश साहनी
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