फाग चलत बा फागुन में
रंग जमत बा फागुन में
देवरो दूसर खोजत बा
घात करत बा फागुन में
भैया बाड़े दुबई में
गांव बहत बा फागुन में
तुहउँ अईबू सावन ले
देहिं जरत बा फागुन में
अमवो तक बौराईल बा
सब गमकत बा फागुन में
रउरे अइसे ताकी जिन
मन बहकत बा फागुन में
देहिं थकल मन मातल बा
भर असकत बा फागुन में।।
सुरेशसाहनी, कानपुर
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