ज़माने भर का वसील होना।
है जुर्म अपना क़तील होना।।
हमारी आदत सी पड़ गयी है
सबाब करना ज़लील होना।।
तमाम रिंदों की इक वज़ह है
तुम्हारी आँखों का झील होना।।
के दौरे हाज़िर में लाज़मी है
गुलों की ख़ातिर फ़सील होना।।
तमाम अपनों को खल रहा है
जनाजा अपना तवील होना।।
जिन्हें चुना उनको दोष क्यों दें
हमें पड़ेगा कफ़ील होना।।
सुरेश साहनी,कानपुर
वसील/ मित्र या साथ निभाने वाले
क़तील/जिसका क़त्ल हुआ हो
फ़सील/ चारदीवारी, सुरक्षा घेरा
तवील/लम्बा होना
कफ़ील/ दायित्व लेने वाला, जिम्मेदार
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