बेख़ुदी के लाख दर इज़ाद कर।
भूलने की हद तलक तो याद कर।।
ग़म बज़ा है आशियाँ ना बन सका
इस वज़ह से जीस्त मत बर्बाद कर।।
दौलतों के कान होते ही नही
लाख रो ले चीख ले फ़रियाद कर।।
बागवां था फिर भी गुलची हो गया
और गिर कर ख़ुद को मत सैयाद कर।।
बेख़ुदी के लाख दर इज़ाद कर।
भूलने की हद तलक तो याद कर।।
ग़म बज़ा है आशियाँ ना बन सका
इस वज़ह से जीस्त मत बर्बाद कर।।
दौलतों के कान होते ही नही
लाख रो ले चीख ले फ़रियाद कर।।
बागवां था फिर भी गुलची हो गया
और गिर कर ख़ुद को मत सैयाद कर।।
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