सिर्फ़ उससे राब्ता इतना रहा।
वो किसी का और मैं उसका रहा।।
वो मुसलसल भीड़ में रहता रहा।
हैफ़ उसके बाद भी तनहा रहा।।
ज़िंदगानी का सफ़ऱ कैसा रहा।
कट गई तो मान लो अच्छा रहा।।
उम्र सारी साथ तो चलता रहा।
उम्र भर वो अज़नबी जैसा रहा।।
सिर्फ़ उससे राब्ता इतना रहा।
वो किसी का और मैं उसका रहा।।
वो मुसलसल भीड़ में रहता रहा।
हैफ़ उसके बाद भी तनहा रहा।।
ज़िंदगानी का सफ़ऱ कैसा रहा।
कट गई तो मान लो अच्छा रहा।।
उम्र सारी साथ तो चलता रहा।
उम्र भर वो अज़नबी जैसा रहा।।
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