गरीबी में दामन बचाये हुए है।

ज़माने से ख़ुद को छिपाये हुए है।।


उसे क्या पता तिश्नगी के मआनी

जो होठों के सागर बचाये हुए है।।


कहो शेख़ से मैक़दे आ के देखे

ख़ुदा उस से क्या क्या छुपाए हुए है।।

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