जाने क्यों गुनगुनाते हुए रो दिए।
आज हम मुस्कुराते हुए रो दिए।।
गुल की साज़िश है या खार की दिल्लगी
हँस के दामन छुड़ाते हुए रो दिए।।
वो थे वादफ़रामोश हँसते रहे
हम थे वादा निभाते हुए रो दिए।।
उनकी तस्वीर दिल से हटानी पड़ी
ज़ख़्म दिल के सजाते हुए रो दिए।।
जाने क्यों गुनगुनाते हुए रो दिए।
आज हम मुस्कुराते हुए रो दिए।।
गुल की साज़िश है या खार की दिल्लगी
हँस के दामन छुड़ाते हुए रो दिए।।
वो थे वादफ़रामोश हँसते रहे
हम थे वादा निभाते हुए रो दिए।।
उनकी तस्वीर दिल से हटानी पड़ी
ज़ख़्म दिल के सजाते हुए रो दिए।।
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