फिर बेताल लदेगा मुझ पर
यही सोच कर मैं हर उसको
मित्र बनाने से बचता हूँ।
जो लेखन में समझ रहा है
बड़ा किसी माने में ख़ुद को
गोया उससे बड़ा आज तक
कहीं कोई भी नहीं हुआ है
मुखपोथी पर इस प्रजाति के
जाने कितने कोटि लोग हैं
जो औरों की नहीं पढ़ेंगे
बस अपनी चेपे जाएंगे ......
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