ग़म की दौलत से क्या बना लेता।

ओढ़ लेता कि मैं बिछा लेता।।

सब ने अपना ज़मीर बेच लिया

मैं अगर बेचता तो क्या लेता।।

दिल की दौलत को लूटने वाले

मैं न देता तो खाक़ पा लेता।।

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