आओ अपने ही नक्शे पा पे चले

कम से कम राह तो न भटकेंगे।।SS


मेरी अच्छाइयों का ज़िक्र तौबा!!!

कमी क्या क्या हैं मुझमे सोचता हूँ.।।



क्यों नहीं आप हमें भूल ही जाने देते।

जब नहीआप हमें साथ मे आने देते।।

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है