बस यही बात भूल जाता हूँ।
आज भी जात भूल जाता हूँ।।
रात को तू तो याद रहता है
हर सुबह रात भूल जाता है।।
यूँ तो सारे जवाब हाज़िर हैं
बस सवालात भूल जाता हूँ।।
जीत कर मुझ से तू अगर खुश है
मैं मिली मात भूल जाता हूँ।।
तेरे ग़म भी बड़ी इनायत हैं
क्यों ये खैरात भूल जाता हूँ।।
माफ़ करना सुरेश उल्फत में
फ़र्ज़-ओ- ख़िदमात भूल जाता हूँ।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
Comments
Post a Comment