तो क्या मैं जान गिरवी रख रहा हूँ।

फ़क़त ईमान गिरवी रख रहा हूँ।।


उम्मीदें रख रहा हूँ आज रेहन

कई अरमान गिरवी रख रहा हूँ।।


अभी सौदा हुआ है तीरगी से

अभी दिनमान गिरवी रख रहा हूँ।।


ख़ुदा मिलता उसे भी बेच देता

अभी इंसान गिरवी रख रहा हूँ ।।


ग़ज़ल दो चार  से हासिल न होगा

मेरा दीवान गिरवी रख रहा हूँ।।


सुन्दर साहनी

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