तुमको साहिल से उम्मीदें हैं क्या।
अब भी मंज़िल से उम्मीदें हैं क्या।।
हौसला है तो सफर जारी रख
सिर्फ़ राहिल से उम्मीदें हैं क्या।।
अब भी आंखों में मुहब्बत क्यों है
अपने क़ातिल से उम्मीदें हैं क्या।।
मुझको साक़ी से नहीं है उम्मीद
तुम को महफ़िल से उम्मीदें हैं क्या।।
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