मन नैनों में झूल गया फिर।
इश्क कहां स्कूल गया फिर।।
काया की माया में मूरख
मायापति को भूल गया फिर।।
इश्क़ गोपियों को देकर वह
कब कालिन्दी कूल गया फिर।।
एक फूल लेने आया था
देकर कितने शूल गया फिर।।
पनघट से प्यासा लौटा मैं
मिलना आज फिजूल गया फिर।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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