नल और नील निषाद राजा थे ऐसा कतिपय ग्रंथों में उल्लेख मिलता है। उन्हें वरदान था या वे जानते रहे होंगे कि कौन कौन से पत्थर पानी विशेषकर समुद्र के भारी जल में तैर सकते हैं। तभी मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने नल नील बंधुओं से सेतु बंधन का आग्रह किया था।
यह भी संभव है कि उन्होंने सेतु बंधन में नावों की श्रृंखला बनाकर उन पर पत्थर डाले हों। क्योंकि मेरा मानना है कि मर्यादा पुरुषोत्तम ने किसी चमत्कार का आश्रय तो नहीं ही लिया होगा। किंतु वे युद्ध कौशल के नायक थे इसमें कोई संदेह नहीं, जिसके चलते उन्होंने कोल भील और वानर समुदाय को संगठित कर रावण जैसे अजेय योद्धा को पराजित किया और मृत्यु के घाट पहुंचाया।
खैर मैं तो फिलहाल राम से शिकायत का भाव ही रखूंगा। और मुझे पता है कि यह मेरे लिए किसी भी भांति अहितकर नहीं सिद्ध होगा। तुलसी बाबा ने कहा भी है कि -
भाव कुभाव अनख आलसहूं।
नाम जपत मंगल दिस दसहूं।।
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