आज अपनी जिन्दगी लगने लगी बोझिल मुझे।
उसने वापस ले लिया कल ही दिया था दिल मुझे।।
कत्ल जिसके हाथ कल मेरी वफा का हो गया
उसने सबके सामने ठहरा दिया क़ातिल मुझे।।
इश्क क्या दो चार पल की कैफियत का नाम है
उम्र भर के रंजोगम जो हो गये हासिल मुझे।।
पूछ मत फिर शीशा -ए - दिल क्या हुआ टूटा तो क्यों
एक पत्थर दिल ने जब ठहरा दिया बेदिल मुझे।।
आ गया गिरदाब से भी बच निकलने का हुनर
अब समंदर में रहूंगा ढूंढ मत साहिल मुझे।।
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