कि गुज़री है अभी आधी उमरिया।
अभी भी राह तकते हैं सँवरिया ।।
कई सोलह के सावन जा चुके हैं
अभी भी हूँ पिया की मैं बवरिया।।
मैं बिगड़ी हूँ मेरी बाली उमर से
नही है सूझती अब भी डगरिया।।
न जाने किस नगर से आ रही हूँ
न् जाने जाऊंगी मैं किस नगरिया।।
मुहूरत एक दिन आएगी तय है
मगर कब आयेगी है कुछ खबरिया।।
अभी साजन के घर पहुची नहीं हूँ
अभी से हो गयी मैली चदरिया।।
पिया आएंगे डोली ले के जिस दिन
सजेगी साहनी उस दिन गुजरिया।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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