बीमा डूबेगा बैंक डूबेंगे।

इसमें ज़रदार ख़ाक़ डूबेंगे।।

अब बरहनों  का कुछ न बिगड़ेगा

हम गरेबान - चाक डूबेंगे।।साहनी

Comments

Popular posts from this blog

भोजपुरी लोकगीत --गायक-मुहम्मद खलील

श्री योगेश छिब्बर की कविता -अम्मा

र: गोपालप्रसाद व्यास » साली क्या है रसगुल्ला है