छपाक ! छपाक!!
नदी में कूदते थे ,तैरते थे
मन भर नहाते थे
वरुण के बेटे
बाढ़ में बाढ़ के बाद भी
सर्दी गर्मी बरसात में
यानी साल भर
नदी ही हमारा घर दुआर
आंगन दलान खेत खलिहान
सब थी
धीरे धीरे बांध बने ,पुल बना
मिल बनी ,मिल को पानी मिला
मिल ने पानी छोड़ा
मछलियों ने छोड़ दिया
नदी में आना जाना
तैरना इठलाना मंडराना
और नदी छोटी हो गयी
बड़े हो गए वरुण के बेटे
बेटे अब नदी में नहीं नहाते
बेटे अब बिकना चाहते हैं.....
Suresh Sahani कानपुर
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