कौन लेकर बहार आया है।
है वो मोहूम या कि साया है।।
कैसे कह दूँ मैं सिर्फ़ ख़्वाब उसे
हर तसव्वुर में वो नुमाया है।।
खार कुछ नर्म नर्म दिखते हैं
कौन फूलों में मुस्कुराया है।।
दस्तकें बढ़ गयी हैं खुशियों की
किसने दिल का पता बताया है।।
बेखुदी क्यों है इन हवाओं में
क्यों फ़िज़ा पर खुमार छाया है।।
आज वो भी बहक रहा होगा
जिसने सारा ज़हां बनाया है।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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