मेरा वजूद मुझे आजमा के लौट गया।

कि आज मैं ही मेरे पास आ के लौट गया।।

मेरे ज़मीर को शायद ज़हां न रास आया

बढ़े कदम तो वो पीछे हटा के लौट गया।। साहनी

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