क्या ज़रूरी है कि टकराऊँ मैं।

क्यों न कतरा के निकल जाऊँ मैं।।

अक्ल को इसकी ज़रूरत होगी

भैंस को क्यों भला समझाऊं मैं।।साहनी

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