आना जाना रक्खा कर।
ठौर ठिकाना रक्खा कर।।
काम बुरे भी आते हैं
कुछ याराना रक्खा कर।।
ठीक नहीं पर लाज़िम है
ठोस बहाना रक्खा कर।।
पंछी छत पर आयेंगे
आबोदाना रक्खा कर।।
तन से तू संजीदा रह
मन दीवाना रक्खा कर।।
सुरेश साहनी, कानपुर
आना जाना रक्खा कर।
ठौर ठिकाना रक्खा कर।।
काम बुरे भी आते हैं
कुछ याराना रक्खा कर।।
ठीक नहीं पर लाज़िम है
ठोस बहाना रक्खा कर।।
पंछी छत पर आयेंगे
आबोदाना रक्खा कर।।
तन से तू संजीदा रह
मन दीवाना रक्खा कर।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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