स्नेह से हम बुलाये जाते हैं।

मूर्तियों सम बिठाये जाते हैं।।


अब सुखनवर जो पाये जाते हैं।

सिर्फ़ अपनी सुनाये जाते हैं।।


किस तकल्लुफ़ से आजकल रिश्ते 

आप हम सब निभाये जाते हैं।।


आप ने याद कर लिया जैसे

लोग यूँ भी भुलाये जाते हैं।।


आप गुज़रे इधर से मुँह मोड़े

इस तरह तो पराये जाते हैं।।


किसलिये हम करें गिला उनसे

ग़ैर कब आज़माये जाते हैं।।


गमज़दाओं की कौन सुनता है

फिर भी हम गुनगुनाये जाते हैं।।


साहनी कानपुर वाले

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