बारिश की धूप छाँव की बातें न कीजिये।

मौसम के हावभाव की बातें न कीजिये।।

हो के शहर के रह गए इक बार जो गये

मुँह देख कर के गाँव की बातें न कीजिये।।

साहनी

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