उसने क्या कह दिया क़रीब मुझे।

लोग  कहने लगे  हबीब  मुझे ।।


सारी दुनिया जो हो गयी अपनी

ले के आया कहाँ नसीब मुझे।।


तू तो सच में नसीब वाला है

कह रहा है मेरा रक़ीब मुझे।।


मेरे ऊपर ख़ुदा की रहमत है

किस नज़र से कहा गरीब मुझे।।


मेरा रिश्ता तो है अदीबों से

सब न समझे भले अदीब मुझे।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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