चाँद की रखवारियों में दिन गए।
ख़्वाब में दिन रात तारे गिन गए।।
नींद आंखों से गयी सुख चैन भी
धीरे धीरे ख़्वाब सारे छिन गये।।
इश्क़ की किस्मत में तन्हाई रही
यार छूटे छोड़ कर कर मोहसिन गये।।
चांदनी ने हाथ थामा ग़ैर का
कब्र में हम रोशनी के बिन गए।।
साहनी था बादाकश जन्नत गया
नर्क में हिन्दू गया मोमिन गये।।
सुरेश साहनी कानपुर
9451545132
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