आज बारिश हुई है जी भर के।
पेड़ टूटे चरर मरर कर के।।
हर तरफ जाम हर तरफ फिसलन
लोग निकलेंगे बच के डर डर के।।
पहली बारिश मे चरमरा उट्ठे
हाल बिगड़े निगम के दफ्तर के।।
वो विधायक बनेगा हीरो है
कौम मेडल भी देगी मर्डर के।।
बादलों कर्ज़दार किसके हो
इस ज़मीं के कि उस समन्दर के।।
ये ग़ज़ल दम न तोड़ दे क्योंकि
दर्द इसमें नहीं जहाँ भर के।।
सुरेश साहनी
Comments
Post a Comment