आप को भी धमाल आते हैं।
और क्या क्या कमाल आते हैं।।
आप मौका निकालते हैं या
मौके खुद को निकाल आते हैं।।
जब भी साहिल पे ऊब होती है
हम समन्दर उछाल आते हैं।।
तुमने देखा है चश्मेनम हमको
हम लहू तक उबाल आते हैं।।
अपने सपनों को बेचते हैं हम
तब तो दिरहम रियाल आते हैं।।
वो मेरे मुल्क़ के मसीहा हैं
उनको कितने बवाल आते हैं।।
ज़िन्दगी रोज़ ज़ख़्म देती है
रोज़ हम दर्द टाल आते हैं।।
हमको इन डेज़ में यक़ीन नहीं
ये जो हर एक साल आते हैं।।
साहनी के जेह्न में कुछ तो है
शेर क्या बेमिसाल आते हैं।।
साहनी,सुरेश
कानपुर
9451545132
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