तुम कुछ खोये खोये थे ना।
दिल के दर्द संजोए थे ना।।
दामन भी भीगा भीगा है
सच कहना कल रोये थे ना।।
ख्वाबों में कुछ कम मिलते हो
वैसे कल तुम सोए थे ना।।
मौसम भी है गीला गीला
ग़म के बादल ढोये थे ना।।
आज तुम्हें जो शूल चुभे हैं
कल तुमने ही बोए थे ना।।
सुरेश साहनी, कानपुर
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