ऐसा गठबंधन ठीक नहीं।

समझौता बेमन ठीक नहीं।।


हुई जाई मुंडन ठीक नहीं।

घर में सम्मेलन ठीक नहीं।।


उनको पनीर हम दाल भात

अब अइस प्रबंधन ठीक नहीं।।


कछु नेग सेग की बात करौ

छूछे कनछेदन ठीक नहीं।।


हमरे हो हमरी ओर रहो

थाली के बैंगन ठीक नहीं।।


उई बेलन लिहे अगोरत हैं

लागत है लच्छन ठीक नहीं।।


हम उनते कहिबे हाथ जोड़

बेटाइम पूजन ठीक नहीं।।


अब शादी हो गइ तो हो गइ

अब और इलेक्शन ठीक नहीं।।


इक बार फंस गए काफी है

जन्मों का बंधन ठीक नहीं।।


सुरेश साहनी, कानपुर

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