लड़ न सको तो हार मान लो
परिस्थिति वश सब झुकते हैं
यार समय से बड़े नहीं तुम
और सिकन्दर होने का भ्रम
स्वयं सिकन्दर का टूटा था
तुम तो तुम हो
फ़ानी हो तुम समय नही हो
शाश्वत है तो सिर्फ़ समय है
समय सिकन्दर हो सकता है
समय रंक है राजा भी है
समय भूप है समय प्रजा है
फिर पत्नी बच्चों की हत्या
तुम उन सबके समय नहीं थे
अब कैसे मुँह दिखलाओगे
तुम हारे थे किन्तु तुम्हारे
बच्चे उत्तर दे सकते थे
उसी समय को जिसके आगे
तुम अपराधी बने खड़े हो......
सुरेशसाहनी, कानपुर
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