जलवों ने बीनाई ली है ।
आंखों ने रुसवाई ली है।।
सागर में तूफान न आये
साक़ी ने अंगड़ाई ली है ।।
उन आंखों को कौन कहेगा
तोहमत है हमने पी ली है।।
वो नज़रें क्योंकर फेरेगा
अपनी ही तबियत ढीली है।।
सोच बहुत छोटी है उसने
कद में कुछ ऊंचाई ली है।।
कुछ हम पर भी रहमत करती
खूब सुना था खर्चीली है।।
थक कर टूट चुके हैं ग़म भी
आहों ने जम्हाई ली है।।
सुरेशसाहनी
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