ज़रा सी उम्र में इतने बहाने।
तुम आगे क्या करोगे राम जाने।।
मुहब्बत है तो रखना घर में दाने।
वगरना मत निकल पड़ना भुनाने।।
अभी मासूम कितने लग रहे हो
कहीं लगना न तुम बिजली गिराने।।
वहम है तुमसे कोई घर बसेगा
उजड़ने तय हैं लेकिन आशियाने।।
गये थे इश्क़ का इजहार करने
जुबाँ से क्यों लगे हम लड़खड़ाने।।
ज़रा सा काम है इक़रार करना
लगाओगे सनम कितने ज़माने।।
भले हो साहनी अच्छा ग़ज़लगो
न लग जाना उसे तुम गुनगुनाने।।
सुरेश साहनी, कानपुर
9451545132
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